Tuesday, August 25, 2020

सपने सुहाने लड़कपन के जब सच होते हैं तो....

 अर्जुन अवार्ड जीतने वाली दीपिका को हर तरफ से बधाई 
नई दिल्ली: 25 अगस्त 2020:(खेल स्क्रीन ब्यूरो)::
रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला की जोशीली खिलाडी दीपिका अक्सर कमाल दिखाती रही है। इस बार उसने अर्जुन अवार्ड जीता है। एक गौरवपूर्ण उपलब्धि। दीपिका ने 2016 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की अगवानी की थी। भारतीय रेलवे ने दीपिका की उपलब्धिओं पर गर्व व्यक्त किया है। 
भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी दीपिका ठाकुर का नाम देश के उन 29 खिलाड़ियों में शामिल हो गया है, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इनके नाम की सिफारिश एक सप्ताह पूर्व मंगलवार को खेल मंत्रालय की पुरस्कार चयन समिति ने इस साल के अर्जुन पुरस्कार के लिए की थी। दीपिका ठाकुर भारतीय महिला हॉकी टीम की उपकप्तान दीपिका ठाकुर का नाम 2017 में भी अर्जुन अवार्ड के लिए चर्चा में था।
घर में न अमीरी थी न ही कोई बहुत बड़े अवसर। बस एक लगन लगी और जनून बन गई।दीपिका ठाकुर का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ। बस दाल रोटी चल रही थी। इससे ज़्यादा की उड़ान तो सपने में भी सम्भव नहीं लगती थी। उनके स्वर्गवासी पिता राम नारायण ठाकुर यमुनानगर स्थित पेपर मिल में काम करते थे। जबकि मां ज्ञानती देवी गृहणी हैं। दीपिका का  बचपन पेपर मिल में ही व्यतित हुआ। लेकिन यहीं पर पैदा हुई बचपन से ही खेल में रूचि जो बढ़ती चली गई। पेपर मिल के मैदान में खिलाड़ियों को देख कर उसे अपने सपने और स्पष्ट दिखने लगते। वह उन सपनों के लिए ऊर्जा और जनून एकत्र करती रही। अपने लक्ष्य के लिए रास्ता तैयार करती रहीं। रास्ते आसान नहीं थे लेकिन वह अडिग रही। किसी मुसीबत से न घबराई। स्कूल में ही दीपिका ने हॉकी थाम ली थी। हॉकी घूमाते व खेलते देख सभी ने उसे कॉचिंग व ट्रेनिंग दिलवाने की बात कही। जिसके बाद दीपिका यमुनानगर में कोच दविंद्र साहनी के नेतृत्व में कोचिंग लेनी लगीं। आगे की पढ़ाई के लिए वह चंण्ड़ीढ़ चली गईं जो एक नया मोड़ भी साबित हुआ। 
हॉकी के [प्रति उसका जनून यहां भी ख्याति अर्जित करने लगा। कोच जसविंद्र सिंह ने दीपिका को तैयार किया। इस दौरान दीपिका ने कई डिस्ट्रिक, स्टेट और नेशनल मैच खेले और अपनी कुशलता साबित की। आखिर सन 2004 में वह पल आया जिसे दीपिका सहित परिजनों को बेसब्री से इंतजार था। दीपिका को अपनी मंजिल का पहला पड़ाव मिला और उनका चयन राष्ट्रीय टीम के लिए हुआ। उसकी उड़ान को सशक्त पंख मिले। उसके सपने साकार होते नज़र आने लगे। हर रोज़ नया आसमान नज़र आता। नै मंज़िलों के पटे मिलते। इस के बाद दीपिका ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर प्वाइंट पर फ्लो कर हिट करने का दम रखने वाली दीपिका 240 इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं। हर बार कमाल कर दिखाया। बहुत से मुकाबले अपने और अपनी टीम के नाम किये। रेल मंत्रालय ने भी उसे विशेष टवीट करके बधाई दी है। 

Monday, August 24, 2020

म.प्र. शूटिंग अकादमी के प्रशिक्षक जसपाल राणा को द्रोणाचार्य अवार्ड

Monday: 24th August 2020 at 16:15 IST
 खेल मंत्री सहित बहुत से लोगों ने दी बधाई-राणा हुए भावुक 
भोपाल: सोमवार: 24 अगस्त 2020: (PRD//खेल स्क्रीन)::
मध्यप्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी के हाई परफॉरमेंस पिस्टल शूटिंग प्रशिक्षक श्री जसपाल राणा को इस वर्ष प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिये नामांकित किया है। खेल मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने श्री राणा को बधाई एवं शुभकामनाएँ दी है।

मंत्री श्रीमती सिंधिया ने बधाई देते हुए कहा है कि श्री राणा ने खिलाड़ी के रूप में मात्र 18 वर्ष की उम्र में अर्जुन अवार्ड प्राप्त किया था और अब प्रशिक्षक के रूप में देश के प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी नवाजा जायेगा। उन्होंने कहा कि पद्मश्री श्री जसपाल राणा द्वारा दिये गये बेहतरीन प्रशिक्षण का नतीजा है कि म.प्र. राज्य शूटिंग अकादमी की खिलाड़ी कु. चिकी यादव म.प्र. की पहली ऐसी खिलाड़ी है जिन्होंने टोकयो ऑलम्पिक के लिये भारत का कोटा प्राप्त किया है।

श्रीमती सिंधिया ने श्री जसपाल राणा को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ दी है।
जन्म हुआ  28 जून 1976 को चिलामू, टिहरी गढ़वाल में। एक ऐसा इलाका जहां दैनिक जन जीवन भी बहुत कठिन होता है।  यह कठिनाई ही इंसान को बहुत से परीक्षाएं पास  करने सक्षम बना देती है। यह इस भूमि पर पैदा होने वालों को इस धरती मां की सौगात समझ लीजिये। इस समय भारत के प्रसिद्ध निशानेबाज हैं तो इस उपलब्धि में इस भूमि का वरदान भी है। वर्ष 1995 की कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में 8 स्वर्ण जीतकर जसपाल राणा ने नया रिकॉर्ड बनाया था जो अपने आप में एक विशेष उपलब्धि था।  भारत के दो अन्य निशानेबाजों राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और अभिनव बिन्द्रा ने ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजी का इतिहास रचा था, किंतु यदि यह कहा जाए कि जसपाल राणा ने इस भरोसे की नींव रखी थी तो ग़लत नहीं होगा। उस समय भी उन्होंने धरती मान का वंदन किया था। उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने एशियाई, विश्व कामनवेल्थ, राष्ट्रमण्डल व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक रिकार्ड स्थापित किए हैं। अब द्रोणाचार्य अवार्ड का मिलना हम सभी  लिए गर्व की बात है। 
बिन्दु सुनील और डेस्क 

Saturday, August 15, 2020

प्रत्येक नागरिक के बीच फिटनेस को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक

प्रविष्टि तिथि: 15 AUG 2020 4:17 PM by PIB Delhi
 खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने शुरू की फिट इंडिया यूथ क्लबों की पहल 
नई दिल्ली: 15 अगस्त 2020: (PIB//खेल स्क्रीन)::
प्रधानमंत्री के विज़न फिट इंडिया आंदोलन के एक हिस्से के रूप में फिट इंडिया यूथ क्लब का प्रयास देश भर में फिटनेस के महत्व के बारे में आम जागरूकता पैदा करने के लिए युवाओं की शक्ति का उपयोग करने का प्रयत्न करता है।
फिट इंडिया यूथ क्लब अनूठे तरीके से फिटनेस और संकल्प को एक साथ जोड़ता है जिसमें स्काउट्स एवं गाइड्स, एनसीसी एवं अन्य युवा संगठनों के साथ साथ नेहरू युवा केंद्र संगठन और नेशनल सर्विस स्कीम के 75 लाख वालंटियर एक जिला इकाई के तत्वाधान में देश के प्रत्येक ब्लॉक में फिट इंडिया यूथ क्लब के रूप् में पंजीकरण करने के लिए साथ आएंगे और क्लब का प्रत्येक सदस्य समुदाय के लोगों को उनकी रोजमर्रा के रूटीन में 30 से 60 मिनट तक फिटनेस गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा। इसके अतिरिक्त, क्लब प्रत्येक तिमाही में एक समुदाय फिटनेस प्रोग्राम आयोजित करने के लिए स्कूलों और स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करेगा।
इस पहल की चर्चा करते हुए, श्री रिजिजू ने कहा कि, ‘ केवल एक फिट नागरिक ही समुचित रूप से अपने देश के प्रति योगदान दे सकता है और साथी नागरिकों को आवश्यकता के क्षणों में सहायता कर सकता है। भारत 1.3 बिलियन लोगों का देश हैं और हमारे पास पहले से ही 75 लाख वोलंटियर हैं और जल्द ही यह संख्या 1 करोड़ तक पहुंच जाएगी। मुझे भरोसा है कि ये एक करोड़ वोलंटियर नियमित रूप से फिटनेस कार्यकलाप करने के लिए देश के कोन-कोने में कम से कम 30 करोड़ भारतीयों को प्रेरित कर सकते हैं। समय बीतने के साथ वोलंटियरों की संख्या और जिन्हें फिट इंडिया आंदोलन के लिए प्रेरित किया जा सकता है, उनकी संख्या भी बढ़ जाएगी और जल्द ही हम प्रत्येक भारतीय तक पहुंचने में भी सक्षम होंगे। ‘
फिट इंडिया यूथ क्लबों द्वारा आरंभ की जाने वाली प्रथम पहलों में एक फिट इंडिया फ्रीडम रन को लोकप्रिय बनाना है जो 15 अगस्त से 2 अक्टूबर तक चलता है और यह एक अनूठी अवधारणा है जो प्रतिभागियों को उनकी गति और उनके स्थान पर दौड़ने का और दौडने के अपने रास्तों की खुद योजना बनाने का अवसर देता है। यह दौड़ पहले ही देश भर में लोकप्रिय हो चुकी है और विख्यात एथलीटों से लेकर, कॉरपोरेट के नेता, सैनिक, स्कूली छात्र इसमें हिस्सा लेते हैं तथा सोशल मीडिया पर #Run4India एवं #NewIndiaFitIndia साथ स्वाधीनता दिवस दौड़ों की तस्वीर तथा वीडियो डालते हैं।
‘फिट इंडिया आंदोलन 29 अगस्त को एक वर्ष पूरे कर लेगा। उन विभिन्न समारोहों की तरह जिन्हे पिछले वर्ष आयोजित किया गया है, फिट इंडिया फ्रीडम रन ने भी देश के प्रत्येक वर्ग को आकर्षित किया है। सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, सीबीएसई स्कूलों, सीआईसीएसई स्कूलों, हमारे अपने एनएसएस, एनवाईकेएस वोलंटियर, स्काउट्ए एवं गाईड्स जैसे विभिन्न संगठन सक्रिय हिस्सा ले रहे हैं। हमलोग मूल्यांकन करेंगे कि किस ब्लॉक, जिला एवं शहर ने दौड़ में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। एक लक्ष्य निर्धारित करना और एक राष्ट्र के रूप में अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। ‘ 
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Wednesday, August 5, 2020

प्रतिभाओं की पहचान के लिए वार्षिक खेलो इंडिया की मेजबानी करें

प्रविष्टि तिथि: 04 AUG 2020 8:34PM by PIB Delhi
 खेल मंत्री का राज्यों से अनुरोध कि वे जमीनी स्तर का काम तेज़ करें 
नई दिल्ली: 4 अगस्त 2020: (PIB//खेल स्क्रीन)::
केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज खेलो इंडिया योजना की पहली आम सभा की बैठक की अध्यक्षता की और राज्य के खेल विभागों और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों को संबोधित किया। बैठक के दौरान बोलते हुए उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे राज्य स्तरीय खेलो इंडिया गेम्स के वार्षिक आयोजन की मेजबानी करें ताकि बड़े पैमाने पर जमीनी स्तर की प्रतिभाओं की पहचान की जा सके। बैठक में खेल सचिव श्री रवि मित्तल; भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक श्री संदीप प्रधान और खेल मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
      श्री किरेन रिजिजू ने कहा,“खेलो इंडिया योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली वार्षिक प्रतियोगिताओं, जैसे कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स और यूनिवर्सिटी गेम्स, ने सभी राज्यों से खेल प्रतिभाओं को पहचानने में मदद की है।हालांकि, यह पर्याप्त नहीं है। हर राज्य जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान करने और राज्य से खेल प्रतिभाओं को एक बड़ा मंच देने के लिए वार्षिक खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन कर सकता है। राज्य जो पहले से ही वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं का संचालन करते हैं, वे खेलो इंडिया स्कीम के साथ जुड़ सकते हैं और केंद्र इन आयोजनों को संचालित करने में उनका समर्थन करेगा।”
      जमीनी स्तर की प्रतिभाओं की पहचान के महत्व को बताते हुए खेल मंत्री ने कहा,“भारत को एक खेल महाशक्ति बनाने के लिए हमें 5-10 वर्ष आयु वर्ग की प्रतिभाओं को पहचानना होगा और उन्हें भविष्य में चैंपियन बनने में मदद करनी होगी।ओलंपिक के लिए एक एथलीट को तैयार करने में कम से कम 8 साल लगते हैं, और यदि हम बाद के स्तर पर प्रतिभा की पहचान करते हैं, तो ओलंपिक पोडियम पर इसे बनाने की उनकी संभावना सीमित है। इसलिए, राज्यों को युवा प्रतिभा की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और राज्य, जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करना महत्वपूर्ण है।”
      केंद्रीय खेल मंत्री ने पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उत्तर पूर्व भारत के लिए 5 क्षेत्रीय प्रतिभा स्काउटिंग समितियों की बात की और 24 खेल विषयों में जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान करने में इन समितियों की सहायता करने में राज्यों की सक्रिय भागीदारी के लिए कहा। उन्होंने कहा,“फिर पहचानी गई प्रतिभाओं को राज्य सरकार या एसएआई केंद्रों में प्रशिक्षित किया जा सकता है। हमें प्रतिभाओं की पहचान करने में राज्य सरकारों से इनपुट की आवश्यकता है।”
      मंत्री ने राज्यों को प्राथमिकता के तौर पर खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (केआईएससीई) के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ खेल बुनियादी ढांचे की पहचान करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा,“हम पहले ही 8 राज्यों की पहचान कर चुके हैं, जहां केआईएससीई की स्थापना की जाएगी। खेल मंत्रालय को भी 13 राज्यों से प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। केआईएससीई राज्यों के लिए देश भर के वरिष्ठ एथलीटों को चुनिंदा खेलों में प्रशिक्षण देने और उनमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है। केंद्र इसमें राज्यों को निधि देने और समर्थन करने के लिए तैयार है, और इसलिए, मैं हर राज्य से आग्रह करता हूं कि वे अवसंरचना की तत्काल पहचान करें जिसे वे केआईएससीई के लिए चिन्हित करना चाहेंगे।”
      राज्य के प्रतिनिधियों ने खेल मंत्री द्वारा चर्चा की गई योजनाओं के क्रियान्वयन पर खेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने में दिलचस्पी दिखाई। इनमें से कई ने पहले से मौजूद राज्य स्तरीय वार्षिक प्रतियोगिताओं और जमीनी स्तर की प्रतिभा पहचान योजनाओं का विवरण साझा किया।
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Monday, August 3, 2020

खेल फिजियोथेरेपी और खेल न्यूट्रीशन में पाठ्यक्रम शुरू

प्रविष्टि तिथि: 03 AUG 2020 3:34PM by PIB Delhi
एनएसएनआईएस पटियाला और सीएसएस-एसआरआईएचईआर ने उठाया प्रशंसनीय कदम 
 मकसद खेल संबंधी परिवेश को बुनियादी स्तर पर मजबूती प्रदान करना 
प्रतीकात्मक फोटो जिसे Markus Spiske of  Unsplash  ने क्लिक किया 
नई दिल्ली: 3 अगस्त 2020: (पीआईबी//खेल स्क्रीन)::
इस बात को सुनिश्चित करने के एक प्रयास के रूप में कि खेल विज्ञान को एथलीटों को प्रशिक्षित करने के लिए बुनियादी स्तर पर भी लागू किया जाए, एनएसएनआईएस पटियाला ने सीएसएस-एसआरआईएचईआर, चेन्नई (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के साथ, खेल विज्ञान विषयों में संयुक्त रूप से छह महीने के प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों का संचालन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य, खेल विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले योग्य युवा पेशेवरों को विशेषज्ञता के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना है। पहले चरण में, खेल फिजियोथेरेपी और खेल न्यूट्रीशन पाठ्यक्रमों की शुरुआत ऑनलाइन माध्यम से की जा रही हैं, उन पाठ्यक्रमों के लिए 3 अगस्त 2020 से नामांकन प्रारंभ किए गए हैं। इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य उन पेशेवरों को प्रशिक्षण प्रदान करना है जो कि सामुदायिक कोचों और विकासात्मक कोचों के साथ मिलकर जमीनी स्तर के प्रशिक्षण में खेल विज्ञान का उपयोग कर सकते हैं।
खेल फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम की लिखित प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की पात्रता फिजियोथेरेपी (ऑर्थो/खेल) में परास्नातक की डिग्री है। जिन लोगों के पास किसी खेल संस्थान, खेल टीम या क्लब में तीन वर्ष काम करने का अनुभव प्राप्त होने के साथ-साथ फिजियोथेरेपी में स्नातक की डिग्री है, वे भी इस पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं। खेल न्यूट्रीशन पाठ्यक्रम के लिए, जो व्यक्ति प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के योग्य हैं, उनके पास किसी भी विषय में परास्नातक की डिग्री होनी चाहिए, जिसमें खाद्य और पोषण, एप्लाइड न्यूट्रीशन, सार्वजनिक स्वास्थ्य पोषण, नैदानिक पोषण और आहार विज्ञान, खाद्य विज्ञान और गुणवत्ता नियंत्रण या खेल न्यूट्रीशन भी शामिल हैं। उपरोक्त में से किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री रखने वाले, और साथ ही किसी भी मान्यता प्राप्त खेल संस्थान, क्लब या राज्य या राष्ट्रीय स्तर की टीम में तीन वर्ष काम करने का अनुभव रखने वाले भी प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
छह महीने के पाठ्यक्रम को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा, जिसमें खेल फिजियोथेरेपी और खेल न्यूट्रीशन के सभी महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे। पाठ्यक्रम के भाग के रूप में, दो सप्ताह की शारीरिक कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी, और जिसका आयोजन कोविड महामारी के बाद किया जाएगा। अंतिम रूप से प्रमाणपत्र देने के लिए, उपस्थित लोगों का मूल्यांकन ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी और लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाएगा।
भारतीय खेल प्राधिकरण के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (अकादमिक), कर्नल आरएस बिश्नोई ने जमीनी स्तर के कोचों की खेल शिक्षा में, खेल विज्ञान को शामिल करने के महत्व के संदर्भ में कहा कि, "खेल विज्ञान में नए पाठ्यक्रमों को शामिल करने का उद्देश्य, ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षण प्रदान करके बुनियादी स्तर पर खेल संबंधी परिवेश को मजबूती प्रदान करना है। इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद, ये पेशेवर जमीनी स्तर पर सामुदायिक कोचों और विकासात्मक कोचों के साथ काम करने के लिए तैयार हो जाएंगे और जूनियर एथलीटों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। दूसरे चरण में भारतीय खेल प्राधिकरण, एक्सरसाइज फिजियोलॉजी, खेल बायोमैकेनिक्स, स्ट्रेंथ एंड कंडिशन, खेल साइकोलॉजी में भी पाठ्यक्रमों की शुरुआत करेगा।"
पाठ्यक्रम की अध्ययन सूची के संदर्भ में सीएसएस-एसआरआईएचईआर के निदेशक, प्रोफेसर अरुणमुगम ने कहा कि, “इन पाठ्यक्रमों को खेल फिजियोथेरेपी और खेल न्यूट्रीशन के क्षेत्र में नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय चलनों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। पाठ्यक्रम में खेल विज्ञान को शामिल करना, यहां तक ​​कि जमीनी स्तर पर भी, इस क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों को एक एथलीट की जरूरतों को ठीक प्रकार से समझने में सहायता प्रदान करेगा। इन पाठ्यक्रमों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय संकाय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जाएगा।”
इन पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन फॉर्म, तीन अगस्त से 10 अगस्त तक ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिसके बाद पात्र उम्मीदवारों के लिए 16 अगस्त, 2020 को लिखित ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इन पाठ्यक्रमों की शुरुआत 24 अगस्त, 2020 से होगी।
एसजी/एएम/एके/एसके