अर्जुन अवार्ड जीतने वाली दीपिका को हर तरफ से बधाई
नई दिल्ली: 25 अगस्त 2020:(खेल स्क्रीन ब्यूरो)::
रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला की जोशीली खिलाडी दीपिका अक्सर कमाल दिखाती रही है। इस बार उसने अर्जुन अवार्ड जीता है। एक गौरवपूर्ण उपलब्धि। दीपिका ने 2016 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की अगवानी की थी। भारतीय रेलवे ने दीपिका की उपलब्धिओं पर गर्व व्यक्त किया है।
भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी दीपिका ठाकुर का नाम देश के उन 29 खिलाड़ियों में शामिल हो गया है, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इनके नाम की सिफारिश एक सप्ताह पूर्व मंगलवार को खेल मंत्रालय की पुरस्कार चयन समिति ने इस साल के अर्जुन पुरस्कार के लिए की थी। दीपिका ठाकुर भारतीय महिला हॉकी टीम की उपकप्तान दीपिका ठाकुर का नाम 2017 में भी अर्जुन अवार्ड के लिए चर्चा में था।
घर में न अमीरी थी न ही कोई बहुत बड़े अवसर। बस एक लगन लगी और जनून बन गई।दीपिका ठाकुर का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ। बस दाल रोटी चल रही थी। इससे ज़्यादा की उड़ान तो सपने में भी सम्भव नहीं लगती थी। उनके स्वर्गवासी पिता राम नारायण ठाकुर यमुनानगर स्थित पेपर मिल में काम करते थे। जबकि मां ज्ञानती देवी गृहणी हैं। दीपिका का बचपन पेपर मिल में ही व्यतित हुआ। लेकिन यहीं पर पैदा हुई बचपन से ही खेल में रूचि जो बढ़ती चली गई। पेपर मिल के मैदान में खिलाड़ियों को देख कर उसे अपने सपने और स्पष्ट दिखने लगते। वह उन सपनों के लिए ऊर्जा और जनून एकत्र करती रही। अपने लक्ष्य के लिए रास्ता तैयार करती रहीं। रास्ते आसान नहीं थे लेकिन वह अडिग रही। किसी मुसीबत से न घबराई। स्कूल में ही दीपिका ने हॉकी थाम ली थी। हॉकी घूमाते व खेलते देख सभी ने उसे कॉचिंग व ट्रेनिंग दिलवाने की बात कही। जिसके बाद दीपिका यमुनानगर में कोच दविंद्र साहनी के नेतृत्व में कोचिंग लेनी लगीं। आगे की पढ़ाई के लिए वह चंण्ड़ीढ़ चली गईं जो एक नया मोड़ भी साबित हुआ।
हॉकी के [प्रति उसका जनून यहां भी ख्याति अर्जित करने लगा। कोच जसविंद्र सिंह ने दीपिका को तैयार किया। इस दौरान दीपिका ने कई डिस्ट्रिक, स्टेट और नेशनल मैच खेले और अपनी कुशलता साबित की। आखिर सन 2004 में वह पल आया जिसे दीपिका सहित परिजनों को बेसब्री से इंतजार था। दीपिका को अपनी मंजिल का पहला पड़ाव मिला और उनका चयन राष्ट्रीय टीम के लिए हुआ। उसकी उड़ान को सशक्त पंख मिले। उसके सपने साकार होते नज़र आने लगे। हर रोज़ नया आसमान नज़र आता। नै मंज़िलों के पटे मिलते। इस के बाद दीपिका ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर प्वाइंट पर फ्लो कर हिट करने का दम रखने वाली दीपिका 240 इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं। हर बार कमाल कर दिखाया। बहुत से मुकाबले अपने और अपनी टीम के नाम किये। रेल मंत्रालय ने भी उसे विशेष टवीट करके बधाई दी है।
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