Tuesday, October 1, 2024

गांधी-जयंती: गुजरात के पोरबंदर में खेल की भावना से लगेगा स्वछता मेला

Posted on: 01 OCT 2024 3:05 PM by PIB Delhi युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय Azadi ka Amrit mahotsavg20-India-2023

केंद्रीय खेल मंत्री डा,  मनसुख मांडविया करेंगे अभियान का नेतृत्व

2 अक्टूबर को भारत के तटीय क्षेत्रों में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक को हटाने के लिए 1,000 स्थानों पर माई भारत के 1,00,000 से अधिक युवा स्वयंसेवक जुटेंगे

स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत, माई भारत के 56 लाख से अधिक युवा स्वयंसेवकों ने पूरे भारत में लाखों किलोग्राम कचरा हटाया

नई दिल्ली: 01 अक्टूबर 2024:(PIB Delhi//खेल स्क्रीन डेस्क)::

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केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया  कल महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर गुजरात के ऐतिहासिक शहर पोरबंदर से माई भारत द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी तटीय और समुद्र तट स्वच्छता अभियान का नेतृत्व करेंगे। इस विशेष अभियान का उद्देश्य भारत के समुद्र तटों और तटीय क्षेत्रों से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक कचरे को खत्म करना है। "स्वच्छता ही सेवा" अभियान के समापन के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित होगा। "स्वच्छता ही सेवा" अभियान 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2024 तक "स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता" थीम के तहत आयोजित किया गया है।

डॉ. मांडविया युवाओं की अगुवाई वाली पर्यावरण संरक्षण संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहे हैं। वे महात्मा गांधी की जन्मस्थली के रूप में चर्चित ऐतिहासिक महत्व के स्थल पोरबंदर में स्वच्छता अभियान की शुरुआत करेंगे। केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया की भागीदारी पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत परंपरराओं के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह अभियान स्वच्छ और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक मुक्त भारत के दृष्टिकोण के निर्माण के अनुरूप है।

युवा मामलों के विभाग के अंतर्गत माई भारत ने इस वर्ष स्वच्छता ही सेवा अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसमें स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण संबंधी जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में युवाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। माई भारत के युवा स्वयंसेवकों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर तटीय स्वच्छता अभियान 2 अक्टूबर, 2024 को स्वच्छ भारत दिवस के अवसर पर संपन्न होगा।

इस अभियान के अंतर्गत भारत के विशाल 7,500 किलोमीटर के तटीय क्षेत्र में 1,000 से अधिक स्थानों पर स्वच्छता का उद्देश्य है। इसमें विशेष रूप से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के संग्रह, उन्हें अन्य कचरों से अलग करने और निपटान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। माई भारत के 1,00,000 से अधिक स्वयंसेवक इस राष्ट्रव्यापी समुद्र तट स्वच्छता अभियान में भाग लेंगे। इस अभियान के माध्यम से दीर्घकालिक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक कार्रवाई की शक्ति प्रदर्शित होगी।

केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने सभी तटीय ज़िलों के सांसदों को पत्र लिखकर उनसे स्वच्छता ही सेवा अभियान में भाग लेने का आग्रह किया है।

इस वर्ष स्वच्छता ही सेवा अभियान को पहले ही अभूतपूर्व सफलता मिली है। इसमें 30 सितंबर, 2024 तक 56 लाख से अधिक माई भारत के युवा स्वयंसेवक सक्रिय रूप से देश भर में लाखों किलोग्राम कचरे को हटाने में जुटे रहे हैं। स्वच्छता के ये प्रयास 1 लाख से अधिक गांवों 15,000 से अधिक सामुदायिक केंद्रों, 9,501 अमृत सरोवरों और विभिन्न ऐतिहासिक और सार्वजनिक स्थानों तक में हो रहे हैं।

यह ऐतिहासिक पहल स्वच्छ भारत मिशन के प्रति युवाओं के समर्पण को दर्शाती है,  और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करती है। तटीय स्वच्छता का प्रयास इस महात्मा गांधी के सपने से जुड़े उस संदेश की पुष्टि करता है कि स्वच्छ भारत की शुरुआत सामूहिक कार्रवाई से होती है।

******//एमजी/आरपीएम/केसी/केके/एनजे//(रिलीज़ आईडी: 2060677) 

Friday, September 6, 2024

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने याद किया हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को

Posted on: 06 SEP 2024 10:59AM by PIB Delhi//युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय//azadi ka amrit mahotsavg20-india-2023

जयंती के अवसर पर किया "खेल उत्सव 2024" का आयोजन

 मंत्रालय के 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने जोश एवं उत्साह के साथ भाग लिया

नई दिल्ली: 06 सितंबर 2024: (पीआई बी दिल्ली//खेल स्क्रीन डेस्क)::

मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष्य में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के राष्ट्रीय खेल दिवस 2024 समारोह के अनुसरण में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 27 अगस्त, 2024 से 30 अगस्त, 2024 तक मेजर ध्यानचंद स्टेडियम और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली में "खेल उत्सव 2024" का आयोजन किया।

अपने पहले संस्करण में मंत्रालय ने चार खेलों अर्थात क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन और टेबल टेनिस में टूर्नामेंट आयोजित किए। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मंत्रालय के 200 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी पूर्ण जोश और उत्साह के साथ इसमें शामिल हुए। मंत्रालय का लक्ष्‍य खेल उत्सव के आगामी संस्करणों में और अधिक खेलों को शामिल करना है।

मेजर ध्यानचंद ट्रॉफी का वितरण समारोह 4 सितंबर, 2024 को नई दिल्‍ली स्थित शास्त्री भवन के पत्र सूचना कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित किया गया। ट्रॉफी वितरण समारोह के अवसर पर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

***//एमजी/एआर/एसएस/ओपी//(रिलीज़ आईडी: 2052446)

Monday, September 2, 2024

गोल्डन पंच > डॉ. बलवंत सिंह संधू द्वारा लिखित एक बॉक्सिंग खेल उपन्यास

 रविवार 1 सितंबर 2024 रात्रि 11:37 बजे

लुधियाना कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन ने दी इस बॉक्सिंग नॉवेल के लिए दी बधाई 


लुधियाना: 01 सितंबर 2024: (*ब्रिज भूषण गोयल//खेल स्क्रीन)::

ऐसे क्षेत्र में जहां भारत में खेल लेखकों की कमी है और प्रतिस्पर्धी खेलों में देश के एथलीटों और खिलाड़ियों का प्रदर्शन अभी भी चीन, जापान, इंग्लैंड, अमेरिका आदि के बराबर नहीं है, प्रिंसिपल डॉ. बलवंत सिंह जैसे कुछ उत्साही खेल प्रेमी और शिक्षाविद् हैं। संधू जो अपने खेल लेखन के माध्यम से आशा को जीवित रखे हुए हैं जो हमेशा युवाओं को प्रेरित करता है।

उनकी नवीनतम उपलब्धि में, डॉ. संधू की पुस्तक गोल्डन पंच - प्रसिद्ध पंजाबी-भारतीय मुक्केबाज कौर सिंह के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक खेल उपन्यास है, जो अब एक शैक्षणिक घटक है, जब इसे गुरु नानक में बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा। देव विश्वविद्यालय. वर्ष 2024 से 2027 तक बीपीईएस डिग्री कक्षा में पंजाबी भाषा के अनिवार्य विषय में डॉ. संधू ने महान भारतीय मुक्केबाज कौर सिंह के जीवन को दर्शाया है, जिन्होंने पंजाब के संगरूर जिले से एक किसान के रूप में अपना करियर शुरू किया था। कौर सिंह ने पहले भारतीय सशस्त्र बलों और मुक्केबाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, एशियाई खेलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते, और बाद के वर्षों में खेती में लौटने से पहले उन्हें पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह दिलचस्प किस्सों के साथ यात्रा को अच्छी तरह से चित्रित करता है जो उपन्यास पढ़ते समय खेल मुक्केबाजी के छल्ले और ग्रामीण क्षेत्रों को जीवंत कर देता है।

एससीडी गवर्नमेंट कॉलेज के पूर्व छात्र डॉ. बलवंत सिंह संधू, जो अब श्री गुरु अंगद देव कॉलेज, खडूर साहिब, पंजाब के प्रिंसिपल हैं, लुधियाना में अपने अल्मा मेटर में एक शानदार खिलाड़ी रहे हैं। लुधियाना कॉलेज के पूर्व छात्र संघ के आयोजन सचिव बृज भूषण गोयल ने डॉ. संधू को बधाई दी है और सभी पूर्व छात्रों ने कॉलेज के एक उत्कृष्ट एथलीट पर गर्व महसूस किया है। केन्द्रीय विद्यालय उदयपुर के पूर्व प्राचार्य एवं लुधियाना कॉलेज के पूर्व छात्र एवं प्रख्यात खिलाड़ी मंजीत सिंह संधू ने कहा कि डॉ. बलवंत संधू की पुस्तकें एक अनूठा प्रयास है जिसका अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किये जाने की आवश्यकता है। डॉ. बलवंत सिंह संधू, लेखक खडूर साहिब के एक कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। डॉ. संधू ने 'गुमनाम चैंपियन' और 'एक पिंड दी खेल गाथा-पिंड चक्र' नाम से 2 अन्य किताबें भी लिखी हैं, जिन्हें खेल जगत ने भी काफी पसंद किया है।

* बृज भूषण गोयल एक सक्रिय समाज सुधारक, स्वतंत्र लेखक और वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ-साथ एससीडी गवर्नमेंट कॉलेज, लुधियाना के पूर्व छात्र संघ के आयोजन सचिव भी हैं। उनका मोबाइल फोन संपर्क नंबर है: +91 94176 00666

Sunday, September 1, 2024

केंद्रीय मंत्री श्रीमती रक्षा खडसे ने महिला जूडो लीग में आत्मरक्षा पर जोर दिया

Posted on: 01 SEP 2024 4:17 PM by PIB Delhi

नासिक में अस्मिता जूडो लीग में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया

नई दिल्ली:01 सितंबर  2024:(पी आई बी दिल्ली//खेल स्क्रीन डेस्क)::

ऐसे समय में, जब महिलाओं ने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान जीतने में अग्रणी भूमिका निभाई है, केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे ने महिलाओं के लिए उचित कौशल सीखकर खुद को सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।

श्रीमती खडसे रविवार को पंचवटी के मीनाताई ठाकरे स्टेडियम में अस्मिता जूडो लीग, पश्चिमी क्षेत्र के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रही थीं। यह लीग युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के खेल विभाग की एक पहल है, जिसे खेलो इंडिया के महिला खेल प्रभाग के तहत भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जा रहा है।

अस्मिता जूडो लीग की चार श्रेणियों में कुल 800 प्रतियोगी भाग ले रहे हैं: सीनियर, जूनियर, कैडेट और सब-जूनियर। यह आयोजन 31 अगस्त को शुरू हुआ और 3 सितंबर को समाप्त होगा।

जहां यह महिलाओं को खेल खेलने का अवसर प्रदान करता है, वहीं अस्मिता लीग एक खेल गतिविधि के माध्यम से युवा महिलाओं में सामाजिक जागरूकता लाने और उनमें आत्मविश्वास की भावना पैदा करने का भी प्रयास है।

श्रीमती खडसे ने कहा कि जूडो आत्मरक्षा का कौशल सीखने का एक तरीका है। मंत्री ने कहा, "आज की दुनिया में, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए आत्मरक्षा सीखना बहुत महत्वपूर्ण है। आज ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां आप खुद की रक्षा नहीं कर सकते।"

सभी तरह के समर्थन का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि कम उम्र से ही आत्मरक्षा कौशल सीखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि अस्मिता कार्यक्रम महासंघों, कोचों और खिलाड़ियों को सभी तरह का समर्थन प्रदान करे। मैं शिक्षा मंत्रालय के साथ इस बात पर भी चर्चा करूंगी कि इस कार्यक्रम को सभी स्कूलों तक कैसे पहुंचाया जाए।"

महिलाओं के जूडो लीग, पश्चिमी क्षेत्र ने राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक और गोवा से लेकर दमन और दीव तक तथा अन्य राज्यों के बच्चों को भी आकर्षित किया है। केंद्रीय मंत्री ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को बड़ी संख्या में ऐसी गतिविधियों में भाग लेने दें।

इस महिला जूडो लीग में काफी प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि इसमें 4.26 लाख रुपये के नकद पुरस्कार जीते जा सकते हैं।

***//एमजी/एआर/जेके/एसएस//(रिलीज़ आईडी: 2050665)

Wednesday, August 21, 2024

भारत और विदेशों में तीरंदाजी का इतिहास बहुत पुराना है।

भारत और विदेशों में तीरंदाजी का इतिहास बहुत पुराना है। हालाँकि आधुनिक युग में इसका सैन्य महत्व उतना अधिक नहीं माना जाता है, लेकिन यह अभी भी निशानेबाजी के अभ्यास में रुचि रखने वाले युवाओं को आकर्षित करता है। यह अभी भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों का हिस्सा है। तो तीरंदाजी आज भी एक उज्जवल करियर प्रदान करती है।

भारत में तीरंदाजी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में तीरंदाजी का उल्लेख मिलता है। भगवान राम, अर्जुन और एकलव्य जैसे पात्र तीरंदाजी के महान योद्धा थे। प्राचीन भारतीय योद्धाओं के लिए तीरंदाजी युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। तीरंदाजी का इस्तेमाल न केवल युद्ध में बल्कि शिकार और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जाता था।

विदेशों में भी तीरंदाजी का इतिहास समृद्ध है। प्राचीन मिस्र, ग्रीस और चीन में तीरंदाजी का इस्तेमाल युद्ध और शिकार दोनों के लिए किया जाता था। मध्य युग में, तीरंदाजी यूरोप में एक प्रमुख मार्शल आर्ट थी। मंगोल साम्राज्य के समय में, घुड़सवार सेना की लड़ाई में तीरंदाजी का बहुत प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जाता था। जापान में, क्यूडो (जापानी तीरंदाजी) को एक आध्यात्मिक और मार्शल आर्ट माना जाता है।

आधुनिक युग में तीरंदाजी का सैन्य महत्व अभी भी जारी है और युवाओं को आकर्षित कर रहा है। आधुनिक युग में तीरंदाजी का सैन्य महत्व कम हो गया है क्योंकि आग्नेयास्त्रों और अन्य आधुनिक हथियारों ने इसकी जगह ले ली है। हालांकि, तीरंदाजी का उपयोग अभी भी कुछ विशेष बलों में मूक लक्ष्य शूटिंग के लिए किया जाता है। इसके अलावा, तीरंदाजी का उपयोग सैन्य प्रशिक्षण और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। तीरंदाजी में करियर अभी भी उज्जवल है। आज के समय में तीरंदाजी एक खेल के रूप में विकसित हुई है और इसका बहुत महत्व है। यदि आप तीरंदाजी में करियर बनाना चाहते हैं, तो इसके कुछ प्रमुख अवसर निम्नलिखित हैं: खिलाड़ी: आप एक पेशेवर तीरंदाज बन सकते हैं और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं, जैसे ओलंपिक, एशियाई खेल और अन्य विश्व स्तरीय टूर्नामेंट में भाग ले सकते हैं। कोच: तीरंदाजी कोच बनकर आप नए खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर सकते हैं और उनके कौशल का विकास कर सकते हैं। खेल विज्ञान और अनुसंधान: आप तीरंदाजी के वैज्ञानिक पहलुओं, जैसे बायोमैकेनिक्स, मनोविज्ञान और अन्य शारीरिक प्रशिक्षण तकनीकों पर शोध कर सकते हैं। आउटडोर और साहसिक गतिविधियों में करियर: तीरंदाजी को एक साहसिक खेल और रचनात्मक गतिविधि के रूप में भी देखा जाता है। इस क्षेत्र में भी करियर के अवसर हैं।

प्रमोटर और आयोजक: आप तीरंदाजी प्रतियोगिताओं के आयोजन और प्रचार में अपना करियर बना सकते हैं।

अगर आप तीरंदाजी में रुचि रखते हैं, इसे शौक या करियर के तौर पर अपनाना चाहते हैं, तो ऐसे कई संस्थान और क्लब हैं, जहां आप प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं और प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं।

Monday, July 1, 2024

पेरिस ओलंपिक 2024 के भारतीय तैयारियां भी ज़ोरो पर

 Sunday 30th June 2024 at 8:06 PM by PIB Delhi

केन्द्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रस्थान करने वाले भारतीय दल को प्रेरित किया

*उन्होंने औपचारिक विदाई समारोह में भाग लिया और भारतीय टीम की प्लेइंग किट का अनावरण किया

*सरकार ने सभी स्पर्धाओं में एथलीटों का समर्थन करने के लिए निरंतर काम किया है:खेल मंत्री

*भारत को एक खेल महाशक्ति बनाने के आंदोलन में सरकार सबसे आगे रही है: डॉ. मांडविया

नई दिल्ली: 30 जून 2024: (PIB//खेल स्क्रीन डेस्क)::

दुनिया भर में भारतीय खिलाडियों का अच्छा नाम हो इसके लिए जहाँ खिलाडी और युवा प्रयास करते हैं वहीं सरकार भी इस मकसद के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहती है। अब पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए भी तैयारियां ज़ोरों पर हैं। 

केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा आयोजित औपचारिक विदाई समारोह में भाग लिया। उनके साथ केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष डॉ. पी.टी. उषा भी इस समारोह में उपस्थित थीं।

इस कार्यक्रम के दौरान, केन्द्रीय मंत्री ने भारतीय टीम की तीन किट (औपचारिक पोशाक, प्लेइंग किट और खेल के दौरान उपयोग होने वाले जूते और यात्रा संबंधी सामग्री) का अनावरण किया। पेरिस ओलंपिक के लिए प्रस्थान करने वाले भारतीय एथलीट भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा आयोजित एक औपचारिक विदाई समारोह में अपनी संभावनाओं को लेकर बेहद उत्साहित थे।

सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि सभी भारतीयों ने देश के उन एथलीटों की कड़ी मेहनत, समर्पण और अटूट भावना का उत्सव मनाया, जिन्होंने सबसे बड़े मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान अर्जित किया है। उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम सिर्फ वर्दी और औपचारिक पोशाक के अनावरण से ही संबंधित नहीं है, बल्कि यह उन अरबों भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक भी है जो इन एथलीटों के पीछे एकजुट हैं।”

उन्होंने पूर्ण रूप से विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह दल खेलों में भारत की विकास यात्रा को जारी रखेगा। हमने रियो ओलिंपिक 2016 में दो पदकों को हासिल करने से लेकर टोक्यो 2020 में सात पदकों तक की यात्रा देखी है। इससे भारत 67वें स्थान से 48वें स्थान पर पहुंच गया। इस तरह से आगे बढ़ने में मुख्य रूप से नीरज चोपड़ा के भाला फेंक स्वर्ण पदक ने महत्वपूर्ण रूप से सहायता की है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे एथलीट इस बार हमें पदक तालिका में और भी ऊपर ले जाएंगे।

डॉ. मांडविया ने कहा कि सरकार भारत को खेल के क्षेत्र में महाशक्ति बनाने के कार्य में सबसे आगे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से एथलीटों का पूर्ण सहयोग किया है, जो शीर्ष पर पहुंचने वाले खिलाड़ियों को विशेष सहायता प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न खेलों के एथलीटों को उनकी विश्व रैंकिंग ऊंची बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किया है। खिलाड़ियों को भारत और दुनिया भर के अन्य देशों में विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा, जाने-माने विदेशी विशेषज्ञों को प्रशिक्षक और सहयोगी स्टाफ के रूप में नियुक्त किया है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय खेल इकोसिस्टम विश्व भर में हो रहे खेलों विकास के साथ अपना तालमेल बनाए रखे।

श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, यह उनके मंत्रालय के लिए गर्व की बात है कि वह भारत के ओलंपिक खेलों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि हमारे कई सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों ने पेरिस जाने वाले ओलंपिक खिलाड़ी सहित विभिन्न खिलाड़ियों को नियुक्तियां दी हैं। मुझे विश्वास है कि भारतीय टीम पेरिस में यादगार प्रदर्शन करने और अच्छी संख्या में पदक जीतने के लिए प्रेरित महसूस करेगी।"

अपने स्वागत भाषण में, डॉ. उषा ने कहा कि उन्होंने एक एथलीट के रूप में अपने अनुभव का उपयोग यह सुनिश्चित करने में किया कि पेरिस 2024 में भारत के एथलीटों को खेल विज्ञान सहायता में कोई कमी न हो। उन्होंने कहा, "हमने अपने एथलीटों को पेरिस में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में समर्थन देने के लिए एक बहुत ही एथलीट-केंद्रित योजना तैयार की है।"

डॉ. उषा ने कहा, "हमने डॉ. दिनशॉ पारदीवाला के नेतृत्व में एक मजबूत टीम बनाई है। इसमें खेल चिकित्सा विशेषज्ञ, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, पोषण विशेषज्ञ, फिजियोथेरेपिस्ट और एक निद्रा वैज्ञानिक शामिल हैं।" "पहली बार, आईओए एथलीटों और कोचिंग व सहायक कर्मचारियों को भागीदारी भत्ता भी देगा। मुझे विश्वास है कि भारत पेरिस से किसी भी ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके वापस आएगा।"

भारत ओलंपिक में करीब 120 एथलीटों का दल भेजेगा, जिसके अंतर्गत पुरुष भाला फेंक के पिछले चैंपियन नीरज चोपड़ा के नेतृत्व में एक एथलेटिक्स टीम, 21 सदस्यीय निशानेबाजी टीम और 16 सदस्यीय पुरुष हॉकी टीम शामिल होंगे।

किट के बारे में:

उपर्युक्तर तीन किटों में जेएसडब्ल्यू इंस्पायर द्वारा डिजाइन की गई प्लेइंग किट, तरुण ताहिलियानी के स्वामित्व वाली तसवा द्वारा डिजाइन की गई औपचारिक पोशाक और प्यूमा द्वारा डिजाइन किए गए और परफॉरमेंस शू एवं ट्रैवल गियर शामिल थे जो व्यापक आत्मविश्वास से भरे एथलीटों द्वारा रैंप-वॉक के दौरान प्रदर्शित किए गए।

टीम इंडिया की प्लेइंग किट का डिजाइन हमारे शक्तिशाली देश के आत्मविश्वास, बहुमुखी प्रतिभा और आक्रामक तेवर को दर्शाता है। प्रत्येक रूपरेखा और प्रवाह हमारे परिदृश्यों की मजबूती  को प्रतिध्वनित करता है, जो प्रचंड है, हमारे एथलीटों की अदम्य भावना का प्रतीक है। यह सिर्फ कपड़ा नहीं है, बल्कि यह गर्व का प्रतीक है, जो भारत के चैंपियन की भावना से बुना गया है।

किट में इस्तेमाल किया गया कपड़ा एथलीटों को अधिकतम आराम प्रदान करता है। कपड़े की एंटी-स्टैटिक विशेषता शरीर में चिपकने से बचाती है जबकि स्ट्रेच संबंधी विशेषता से परिधान के लिए एथलीट के शरीर के साथ चलना और उनके आकार के अनुरूप होना संभव हो जाता है, जिससे आरामदायक फिटिंग हो जाती है। इससे अधिकतम गति सीमा संभव हो जाती है।

एयर वेंट से हवा का प्रवाह और गर्मी का फैलाव सुगम हो जाता है। नमी सोखने वाली तकनीक से कपड़े को त्वचा से नमी परिधान की बाहरी सतह पर चली जाती है, जहां यह वाष्पित हो सकती है। इससे शारीरिक अभ्या स के दौरान एथलीट की त्वचा को सूखा और ठंडा रखने में मदद मिलेगी, जिससे घर्षण या जलन कम होगी। इसकी रोगाणुरोधी विशेषता से अप्रिय गंध और कपड़े के क्षरण को रोकने में मदद मिलती है।

********//एमजी/एआर/आर/एनके/जेके/आरआरएस/एजे//(रिलीज़ आईडी: 2029834)

Thursday, February 29, 2024

खेल से होता है बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास:बरसट

Thursday:29th February 2024 at 18:48

राज्य की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में कृषि महत्वपूर्ण

*पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन रहे एथलेटिक मीट में मुख्य मेहमान 

*PAU में आयोजित हुई एथलेटिक मीट 

*राज्य की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में कृषि महत्वपूर्ण


एस.ए.एस. नगर: (मोहाली//चंडीगढ़) 29 फरवरी 2024: (मीडिया लिंक//खेल स्क्रीन डेस्क)::

पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन स. हरचंद सिंह बरसट ने आज पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना में आयोजित 57वीं वार्षिक एथलेटिक मीट में बतौर मुख्य मेहमान शिरकत की। इस अवसर पर स. बरसट ने एथलेटिक मीट के आयोजन के पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी का पूरे देश में एक विशेष स्थान है। किसी भी राज्य की खुशहाली और उसकी अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि का विशेष योगदान होता है। पंजाब की भूमि पर विभिन्न मौसमों का प्रभाव पड़ता है, जिस कारण कृषि विषय पर विभिन्न प्रकार के शोध करने की आवश्यकता है और इसमें पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी अपना पूरा योगदान दे रही है।

उन्होंने आगे कहा कि युवा पंजाब और देश का भविष्य हैं और उनकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना बहुत जरूरी है। इसलिए खेल से बेहतर कोई रास्ता नहीं है। खेल बच्चों में अनुशासन पैदा करता है, तांकि वे अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें। इसलिए सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति ही अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है और तन व मन को स्वस्थ रखने के लिए सभी को खेलों में भाग लेना चाहिए।

पंजाब और युवाओं के विकास की बात करते हुए चेयरमैन ने कहा कि राज्य और लोगों का विकास अपनी मातृभाषा को अपना कर ही संभव है, क्योंकि हर व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को बड़ी आसानी से व्यक्त कर सकता है और पंजाबी भाषा का पूरे विश्व में एक अलग ही स्थान है। पंजाबी भाषा ने मानव जाति को एकजुट रहने का संदेश दिया है। इसलिए सभी को अपनी मातृ भाषा पंजाबी में ही बात करते हुए इसका प्रचार करना चाहिए। 

इस दौरान स. हरचंद सिंह बरसट ने विजेता खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सांसद श्री संजीव अरोड़ा, डा. सतबीर सिंह गोसल, वाइस चांसलर, पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, डा. ऋषि पाल सिंह, रजिस्ट्रार, स. हरप्रीत संधू, लेखक और पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल पंजाब, स. निर्मल सिंह जोरा, निदेशक विद्यार्थी कल्याण सहित समूह स्टाफ सदस्य और छात्र उपस्थित रहे।

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Friday, February 2, 2024

पहले ओलंपियन सुखबीर सिंह गिल की स्मृति में प्रेस निमंत्रण

हॉकी स्टेडियम में एक स्मृति हॉकी मैच 3 फरवरी को 


चंडीगढ़
: 2 फरवरी 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//खेल स्क्रीन ब्यूरो)::

हम पहले ओलंपियन सुखबीर सिंह गिल की स्मृति में तीन फरवरी को एकत्रित हो रहे हैं। गौरतलब है कि उनका  ब्रायन कैंसर के कारण 47 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनके श्रद्धांजलि समारोह और भोग समारोह में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ के सभी मीडिया कर्मियों और संस्थानों को इसमें भाग लेने और कवरेज करने की गुजारिश है। इसके साथ ही नागरिकों से भी हम अनुरोध करते हैं कि वे भी इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लें। 

चंडीगढ़ के सेक्टर 42 स्थित हॉकी स्टेडियम में सुबह 11:00 बजे दिनांक 03 फरवरी को उनकी स्मृति में एक हॉकी मैच का आयोजन होगा। हॉकी स्टेडियम 42 से गुरुद्वारा साहिब सेक्टर 49 तक श्रद्धांजलि मार्च भी निकलेगा जिसका रुट मार्गसेक्टर- 42-43-44-45-46-49 की आंतरिक सड़कों से होगा।  इसके बाद भोग और अंतिम ार्ड्स का आयोजन सेकतर 49 गुरुद्वारा के गुरुद्वारा साहिब में होगा। 

ब्रेन टयूमर के साथ संग्राम को लेकर उनका जीवन लगातार संघर्ष का जीवन बना रहा। सुखबीर सिंह गिल को दिसंबर 2006 में ब्रेन टयूमर की इस भयानक बीमारी का पता चल गया था। उन्हें कुछ समय से सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। इससे पहले के खतरे को रोका जा सकता एक दिन अचानक उन्हें दौरा पड़ा और वह घर पर ही गिर पड़े। यह इस खतरे की गंभीर शिखर थी। परिजनों की तरफ से उन्हें उन्हें एक निजी क्लिनिक में ले जाया गया जहां सीटी स्कैन और एमआरआई परीक्षण की एक आवश्यक शृंखला के माध्यम से उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला। 

ब्रेन ट्यूमर का यह मामला बेहद गंभीर निकला। इसे ठीक करने के लिए कई बार ब्रेन की सर्जरी करवाई गई थीं लेकिन यह बीमारी बार बार सिर उठाने लगी। इसका स्थाई इलाज नहीं हो पाया। पहली सर्जरी उत्तर भारत के जानेमाने सर्वश्रेष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. वीके काक ने की थी। उम्मीद थी ान उन्हें इससे पक्की राहत मिल सकेगी लेकिनट्यूमर का फिर से उभरना जारी रहा। 

इस के चलते ही ओपन स्कल ऑपरेशन और गामा नाइफ रेडियो सर्जरी सहित विभिन्न जटिल चिकित्सा प्रक्रियाओं की आवश्यकता भी पड़ी। बीच में जब वह आंशिक रूप से ठीक हो गए तो वह स्कल कैप के साथ खेल के मैदान में लौटे और प्रीमियर हॉकी लीग में खेले। 

इसी तरह सं 2021 में आखिरी चिकित्सा प्रक्रिया ने उन्हें पूरी तरह से बिस्तर पकड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने घरेलू हॉकी में भारत पेट्रोलियम का प्रतिनिधित्व किया और इसी में नौकरी की। भारत पेट्रोलियम ने ही गिल को सभी चिकित्सा सहायता प्रदान की और प्रमुख और महंगी सर्जरी और चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए अधिकांश चिकित्सा बिल उठाए। इस तरह उन्हें बचाने की निरंतर कोशिशें की गईं। उन्हें बचाने के सभी प्रयास नाकाम रहे। 47/48 वर्ष की उम्र में वह उस सफर पर रुखसत हो गए जहां से कोई नहीं लौटता। अब उनकी यादें शेष हैं। जिन जिन स्थानों से उनका लगवा और अनजाना रहा वहां के  अब भी महसूस होते हैं। 

उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ से ही शुरू हुआ था श्री गिल का हॉकी के साथ ऐतिहासिक इश्क़ का सफर। यहाँ की सडकें,यहाँ के इलाके, यहाँ के लोग उनके साथ भावनात्मक तौर पर भी जुड़े हुए थे। इसी हवा में  ली थी। यह अखिरो सांसों तक जारी भी रहा। सुखबीर गिल के हॉकी के खेल के शुरुआती दिनों में सेक्टर-41 में शिवालिक पब्लिक स्कूल में अपने हाॅकी के खेल को निखारा और बाद में सेक्टर-10 में डीएवी कॉलेज चले गए। उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की करने से पहले अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय हॉकी चैंपियनशिप में पंजाब यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया। संन्यास लेने के बाद गिल ने मोहाली के शिवालिक पब्लिक स्कूल में एक अकादमी चलाई और उभरते और पेशेवर खिलाड़ियों को मंच प्रदान करने के लिए हर साल हॉकी चैंपियनशिप का आयोजन किया। 

उनकी सांसें रुक गई। उम्र की पूँजी भी खत्म हो गई लेकिन उनसे जुड़ें बातें अब भी हमारे ज़हन में हैं। उनकी प्रेरणा लगातार चलती रहेगी।  महफिलों में उनकी चर्चा बानी रहेगी। भारत पेट्रोलियम का प्रतिनिधित्व करने के अलावा चंडीगढ़ टीम के नियमित सदस्य रहे। वह सिडनी ओलंपिक (2000), कुआलालंपुर में हॉकी विश्व कप (2002) और 2002 में कोलोन (जर्मनी) में एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम की ओर से खेले।उनका खेल नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। 

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